संवाददाता.पटना.नीतीश कुमार के वाराणसी में कार्यकर्ता सम्मेलन करने पर राज्य के भाजपा नेताओं ने कटाक्ष किया है. पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जहां नीतीश को सलाह दी है कि वो देश घूमना बंद करें तो दूसरी तरफ लोकलेखा समिति के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री नंदकिशोर यादव ने कहा नीतीश कुमार मौकापरस्त राजनीति के सुरमा है. वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री रामकृपाल यादव ने पूछा कि नीतीश कुमार को काशी जाने की हड़बडी क्यों है.
सुशील मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री देश घूमना बंद कीजिए और बिहार पर ध्यान दीजिए. जंगल राज की टिप्पणी पर भले आपको मिर्ची लग रही है मगर बिहार की हालत क्या बदत्तर नहीं होती जा रही है? जदयू एमएलसी मनोरमा देवी को क्या जानबूझ कर फरार होने का मौका नहीं दिया गया है? घर से शराब की बरामदगी के दो दिन बाद भी आखिर उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हो सकी है? सिवान में सत्ताधारी दल के 13 वें विधायक पर मुकदमा दर्ज हुआ है. मुख्यमंत्री बतायें कि सत्तारूढ़ दल के विधायकों के उत्पात का यह सिलसिला कब थमेगा?
उन्होंने कहा कि शराबबंदी ही बिहार का एक मात्र मुद्दा नहीं है. अपराध सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसे नियंत्रित करने में आपकी सरकार पूरी तरह से विफल रही है. आपके विधायकों में ही कानून को तार-तार करने की होड़ मची है. एमएलसी मनोरमा देवी को पुलिस पकड़ भी नहीं पाई कि रघुनाथपुर, सिवान के राजद विधायक हरिशंकर यादव की दबंगई सामने आ गई. आखिर विधायकों की दबंगई पर लगाम कब लगेगा?आपके मंत्री गया में हुई रोडरेज की घटना की तुलना पठानकोट में हुए आंतकी हमले से कर रहे हैं. क्या इस तरह के बयान से अपराधियों, दबंगों व कानून तोड़ने वालों का मनोबल नहीं बढ़ रहा है? क्या बिहार में हत्या, अपहरण, लूट और रंगदारी के लिए धमकी देने की जितनी भी घटनाएं हुई हैं, उन सबको आतंकी घटना मान ली जाए?
सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने की चाह में एक बार फिर नीतीशजी जनादेश की अवहेलना कर रहे हैं. बिहार की जनता ने बिहार संभालने, अपराध की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सत्ता सौंपी है, मगर वे तो बिहार को दबंगों व अपराधियों के हवाले कर देश भ्रमण का अभियान चला रहे हैं.
वरिष्ठ भाजपा नेता सह लोक लेखा समिति के सभापति नंदकिशोर यादव ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मौकापरस्त राजनीति के सबसे शातिर सूरमा साबित हो रहे हैं. पर ये जिस खुशफहमी में जी रहे हैं, जब उसका सामना सच से होगा तब ये न घर के रहेंगे न घाट के. प्रधानमंत्री पद पर काबिज होने या किंगमेकर बनने के दिवास्वप्न पर इनके सहयोगी ही पलीता लगाएंगे. नीतीश जी वो परजीवी प्राणी हैं जो कभी गैर कांग्रेसवाद तो कभी गैर संघवाद या गैर भाजपावाद के नाम पर सत्ता सुख भोगने की फिराक में लगे रहते हैं.श्री यादव ने कहा कि जब नीतीश जी अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के सहयोग से बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तब इनकी नजर में कांग्रेस देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी थी. बकौल नीतीश जी – कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी है. अब नीतीश जी उस संघवाद को कोस रहे हैं, जिसकी विचारधाराओं के संवाहक अटल बिहारी वाजपेयी जी , लालकृष्ण आडवाणी जी जैसे नेताओं की सरपरस्ती में उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिली.
केंद्रीय राज्यमंत्री रामकृपाल यादव ने कहा कि नीतीश कुमार को काशी जाने की इतनी हड़बड़ी क्यूं थी. शास्त्रों के अनुसार लोग काशी कब और क्यूं जाते है, यह जरुर पता होगा जद यू के नेताओं को. अभी तो बिहार में पांच साल का शासन पूरा करना है. अभी से राजनितिक मोक्ष की प्राप्ति की बेचैनी कैसी? शराबबंदी के नाम पर नीतीश कुमार अंगुलिमाल से बाल्मीकि बनने की चाहत में भारत दर्शन यात्रा पर है. अगर शराबबंदी इनका राजनीतिक एजेंडा था और ये गांधी दर्शन के अनुयायी थे तो 2005 में सत्ता में आते ही बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागु क्यों नही किया? उस समय सत्ता में आते ही शराब से प्राप्त राजस्व को 300 करोड से 4000 करोड से अधिक करने के लिए उत्पाद नीति में बदलाव किया. न्यूनतम बिक्री कोटा (MSQ) से अधिक बेचने पर कम एक्साइज ड्यूटी का प्रावधान कर शराब को गाँव-गाँव बिकवाया. नौजवानों की पूरी नस्ल को बर्बाद किया. गाँव –गाँव पुस्तकालय नही खुले पर मदिरालय जरुर खोले दिए गए. अब नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली है.जीवन भर ठेलको गाड़ी पर बैठ कर राजनितिक यात्रा की. हमेशा वैशाखी के सहारे सत्ता शिखर पर रहे और आज भी बैशाखी पर जिन्दा है और चले नरेंद्र मोदी को चुनौती देने.