संवादाता.पटना.बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे है। पिछले तीन साल में एक साल मुख्यमंत्री स्वयं स्वास्थ्य मंत्री के प्रभार में थे तब दवा घोटाला हो गया। बाद के एक साल ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य मंत्री बनाया जो ढलती उम्र के कारण विभाग संभालने में विफल रहे और अब एक ऐसा व्यक्ति स्वास्थ्य मंत्री है जिसे घोड़े पर चढ़ने, कुर्ताफाड़ होली खेलने, कीमती बाइक की सवारी और तीर्थाटन करने से फुर्सत नहीं है। यह कहना है पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का।
एक बयान में मोदी ने कहा कि दवा घोटाला उजागर होने के बाद दो सालों से अस्पतालों में दवाओं की खरीद बाधित है, नतीजतन 234 दवाओं की जगह मात्र 15-20 दवाओं से काम चलाया जा रहा है। वहां जाने वाले मरीजों के साथ ही संस्थागत प्रसव, बंध्याकरण तथा टीकाकरण की संख्या में भारी गिरावट आई है तथा आधारभूत ढांचा भी ध्वस्त है। ऐसे में मुख्यमंत्री को पुराने दिनों की याद आ रही है जब भाजपा सरकार में थी और अस्पतालों में न केवल लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही थी बल्कि वहां दवाएं और डाक्टर भी उपलब्ध थे।
मोदी का सवाल कि मुख्यमंत्री बतायें कि अस्पतालों के ओपीडी मे आने वाले मरीजों की संख्या में 2013-14 की तुलना में 2015-16 में 80 लाख तथा भर्ती होने वालों में 14 लाख की कमी क्यों आ गई? संस्थागत प्रसव में 2013-14 की तुलना में 2014-15 में करीब एक लाख की कमी और पुरुष बंध्याकरण की संख्या जो 2009-10 में 35,088 थी वह घट कर 2015-16 में मात्र 2,517 क्यों हो गई? 2012-13 की तुलना में 2015-16 में टीकाकरण की दर में 8.2 प्रतिषत की गिरावट क्यों हो गई? 40 हजार एएनएम के स्वीकृत बल की जगह मात्र 13,275 और प्रथम रेफरल इकाई 208 की जगह मात्र 137 क्यों है? मुख्यमंत्री बतायें कि 48 प्रतिशत उपस्वास्थ्य केन्द्र, 39 प्रतिशत प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और 91 प्रतिशत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र क्यों नहीं बन पाएं?