भवन निर्माण योजनाओं में समय-सीमा एवं गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दें-तेजस्वी प्रसाद यादव

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निशिकांत सिंह.पटना.भवन निर्माण विभाग के योजनाओं के कार्यान्वयन में समय सीमा एवं गुणवत्ता पर ध्यान दिए जाएँ। सभी पदाधिकारी, अभियंता एवं संवेदक पूरी गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाह करें। तभी उपलब्धि सर्वोत्कृष्ट होगी। यह निदेश आज उप मुख्यमंत्री-सह-भवन निर्माण मंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने भवन निर्माण विभाग की मासिक समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए अधिकारियों को दी। बैठक में प्रधान सचिव भवन निर्माण अमृत लाल मीणा, अभियंता प्रमुख राजेन्द्र चैधरी, मुख्य अभियंता, सभी अधीक्षण अभियंता एवं सभी कार्यपालक अभियंता उपस्थित थे।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी नीति भ्रष्टाचार के मामले में जिरो-टॉलरेंस की होगी। गुणवत्ता पर ध्यान दिए जाने के लिए अभियंतागण समय-समय पर परियोजनाओं की गुणवत्ता की जाँच अवश्य कराएँ। जहाँ कहीं पर भी गुणवत्ता में कमी पाई जाए उसके लिए जिम्मेदार संवेदक/अभियंतागण को चिन्हित कर उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। जो संवेदक योजनाओं को समय पर पूरा न करें उनके विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई की जाए। जो संवेदक समय सीमा के पहले गुणवत्ता के साथ अपना काम पूरा करते हैं उन्हें नियमानुसार प्रोत्साहित किए जाने की व्यवस्था की जाए। अन्य विभागीय कार्य यथा भूमि की व्यवस्था, मिट्टी जाँच, प्राक्कलन बनाने, स्वीकृति आदि कार्यों को तेजी से पूरा किया जाए। भवन निर्माण के क्षेत्र में नई तकनीकियों का विकास हुआ है। इन तकनीकियों को राज्य में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके लिए विभाग को तकनीकी प्रदाताओं की प्रदर्शनी लगायी जानी चाहिए।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि भवन निर्माण में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसमें ग्रीन बिल्डिंग की अवधारणा को बढ़ावा दी जाए। सभी भवनों में अनिवार्य रूप से जल संरक्षण के प्रावधान होने चाहिए। भवन के परिसर में आवश्यक जल की मात्रा यथा संभवन भवन के छत से वर्षा का जल संग्रहण करके पूर्ति होनी चाहिए। भवन निर्माण विभाग लगभग 25 अन्य विभागों के भवनों का निर्माण एवं रख-रखाव करता है। 25 विभागों की उपलब्धि भवन निर्माण विभाग के प्रयासों पर निर्भर है। इसलिए हमारी जिम्मेदारी बनती है कि समय पर काम पूर्ण हो और राशि का समुचित उपयोग कर भौतिक उपलब्धि सुनिश्चित की जाए। राज्य में भवन निर्माण संबंधी नई तकनीकियों को बढ़ावा देने के लिए राज्यस्तरीय भवन ‘‘प्रौद्यौगिकी प्रशिक्षण केन्द्र’’ स्थापित किए जाएँ। सभी विभागीय अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि विभाग की उपलब्धि सबसे महत्त्वपूर्ण है। किसी स्तर पर ढि़लायी नहीं बरती जाए। अधिकारी पूरी लगन और मेहनत के साथ अपने दायित्वों का निर्वाह करें।

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