नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तराखंड मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र से सवाल पूछे. कोर्ट ने कहा कि फिलहाल राज्य में राष्ट्रपति शासन जारी रहेगा. 29 अप्रैल को होने वाला फ्लोर टेस्ट नहीं होगा. इस मामले में अगली सुनवाई 3 मई को होगी. इससे पूर्व कोर्ट ने अपने एक टिप्पणी में कहा कि स्पीकर सदन का मास्टर होता है.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने नये सिरे से याचिका दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट 3 मई से तीन दिन तक बहस सुनेगा और उसके बाद 13 मई को ग्रीष्मावकाश से पहले फैसला सुना दिया जायेगा कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार इस बीच फ्लोर टेस्ट कराने पर विचार करे.
सुप्रीम कोर्ट में आज उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के मुद्दे पर सुनवाई हुई. उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने से जुड़े सात सवाल तय किए और केंद्र से उनका जवाब मांगा. शीर्ष न्यायालय आज राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाइकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की सुनवाई कर रहा था. उच्चतम न्यायालय ने अपने एक सवाल में पूछा, क्या राज्यपाल सदन में शक्ति परीक्षण के लिए अनुच्छेद 175(2) के तहत मौजूदा तरीके से संदेश भेज सकते हैं.
उच्चतम न्यायालय ने पूछा, क्या अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने के उद्देश्यों के लिए विधानसभा अध्यक्ष की तरफ से विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना प्रासंगिक मुद्दा है. उच्चतम न्यायालय ने यह भी सवाल किया कि क्या राष्ट्रपति केंद्रीय शासन लगाने के लिए विधानसभा की कार्यवाही पर गौर कर सकते हैं. उच्चतम न्यायालय ने इस सवाल का जवाब मांगा कि कब विनियोग विधेयक के संबंध में राष्ट्रपति की भूमिका की जरूरत होती है.
मालूम हो कि पिछले दिनों उत्तराखंड हाइकोर्ट ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने का फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. 22 अप्रैल को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाइकोर्ट के फैसले पर 27 अप्रैल तक रोक लगा दी थी. साथ ही 26 अप्रैल तक हाइकोर्ट के फैसले की कॉपी मांगी थी.