निशिकांत सिंह.पटना.बरबीघा में एक महादलित की भूख से हुई मौत पर सरकार और विपक्ष आमने सामने हो गई है.सरकार जहां भूख के बजाए मौत का कारण बीमारी बता रही है वहीं विपक्ष सरकार को गरीब विरोधी साबित करने में जुटा है. एक न्यूज चैनल पर दिखाने जाने के बाद यह मामला तूल पकड़ा.राज्य सरकार पर विपक्ष ने आरोप लगाया कि गरीबों तक अनाज राज्य सरकार नहीं पहुंचा रहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने कहा कि राज्य के हजारों जागो मांझी भूख से मर रहें है और उनकी रिपोर्ट में बीमारी बता दी जाती है. मांझी ने आरोप लगाया कि तथ्य छिपाने में जुटी है नीतीश सरकार.लेकिन हमें केंद्रीय टीम की जाँच रिपोर्ट का इंतजार.
जागो मांझी की मौत पर सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि घटना की जानकारी मिलते ही हमने रिपोर्ट मांगी. डीएम ने विस्तृत रिपोर्ट भेजी है. जागो मांझी अंत्योदय योजना से कवर थे. सरकार की कई योजनाओं का लाभ उन्हें मिल रहा था. भूख से मौत की बात सही नहीं है.
जागो मांझी की मौत के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह आज जागो मांझी के गांव गए एवं वहां अधिकारियों को फटकार लगाई साथ ही कहा कि कितने संवेदनहीन हो गए है लोग. राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की राष्ट्रीय सचिव सीमा सक्सेना ने बिहार में भूख से हुई मौत को गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण मामला बताया है. उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार इस मौत की निष्पक्ष जांच कराए और ये सुनिश्चित करे कि दोबारा कभी इस तरह की घटना न होने पाए. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के मंत्री बिना जांच कराए ही ये घोषणा कर रहे हैं कि शेखपुरा में जागो मांझी नाम के व्यक्ति की मौत बीमारी से हुई है, भूख से नहीं हुई है. मंत्री जी ये भी कह रहे हैं कि अगर भूख से मौत हुई होगी तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. मुख्यमंत्री खुद इस मामले का संज्ञान लें ताकि सच्चाई राज्य की जनता के सामने आ सके.
जन अधिकार पार्टी (लो) के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह कुशवाहा ने कहा कि बिहार में आज महादलित भूख से मरने को मजबूर हैं, जबकि चुनाव से महागठबंधन के लोगों ने खुद को दलित का मसीहा बताया था. उन्होंने कहा कि चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव को तो वोट के खातिर महादलित के घर अनाज ग्रहण करना स्वीकार था. लेकिन अब जब वे सत्ता में हैं, तब वे भूख से तड़प कर मर रहे महादलित को पानी तक देने में विफल हैं.
शेखपुरा के बरिष्ठ पत्रकार अरूण सेठी अनुसार शर्मसार करने वाली घटना शेखुपरा जिले के बरबीघा नगर पंचायत अन्र्तर्गत वार्ड संख्या सत्तरह में घटी. इस मामले में मानवीय संवेदहीनता इस रूप में भी सामने आई कि जागो मांझी की मौत शुक्रवार की शाम को ही हो गई पर शनिवार की शाम तक किसी ने इसके शव दाह की पहल नहीं की. बाद में स्थानीय वार्ड पाषर्द मंटू कुमार को इसकी सूचना मिली तो उनके द्वारा वर्फ मंगाकर सबसे पहले शव को सुरक्षित किया गया फिर मृतक के पुत्र को इसकी सूचना दी और दाह संस्कार की राशि भी पुत्र के आने के बाद देने की बात कही.
पड़ोसी कृष्णा चौधरी ने बताया कि जागो मांझी पूरी तरह से लाचार था और उसका बेटा महेन्द्र मांझी हरियाणा कमाने के लिए चला गया. अकेले रहने की वजह से उसके पास खाने के लिए अनाज बगैरह नहीं था. जागो मांझी पहले जबतक ठीक थे तब तक किसी तरह खाने का उपाय कर लेते थे पर बीमार पड़ने की वजह से वे बिस्तर पकड़ लिए और उनको खाने के लिए कुछ नहीं मिला और बीमारी का ईलाज भी नहीं हो सका. लोगों को इसकी सूचना नहीं मिली कि जागो मांझी बीमार है. गरीबी की वजह से उनको खाने के लिए कुछ नहीं था जिससे उनकी मौत हो गई. जागो मांझी पत्नी भी लकवा ग्रस्त है और किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रही है.