आदिवासियों की जमीन की सुरक्षा को लेकर एक और पहल

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संवाददाता. रांची. झारखंड सरकार ने आदिवासियों की जमीन के गलत हस्तांतरण पर अंकुश लगाने की पहल की है. कल्याण विभाग द्वारा आयोजित झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ परिषद की 16वीं बैठक में एसएआर कोर्ट के अस्तित्व को कायम रखते हुए आदिवासी भूमि के मुआवजा के प्रावधान को समाप्त करने की अनुशंसा की गई. बैठक में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि आदिवासी जमीन के गलत तरीके से हस्तांतरण की शिकायतें मिल रही थी. अब आदिवासी की जमीन का गलत हस्तांतरण नहीं हो सकेगा.

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि मुआवजा के प्रावधान का गलत उपयोग किया जा रहा था. मुआवजा के प्रावधान के समाप्त होने से आदिवासी का जमीन हस्तांतरित नहीं हो सकेगा. एसएआर कोर्ट में लम्बित 4219 मामलों के समयबद्ध निष्पादन के लिए अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे. रांची जिला में लम्बित वादों की अधिक संख्या को ध्यान में रखकर एक वर्ष के लिए दो अतिरिक्त एसएआर पदाधिकारी का पद सृजित किया गया है, ताकि त्वरित निष्पादन हो सके.

जमीन के स्वामित्व हक को प्रभावित किए बिना कृषि जमीन को गैर कृषि कार्य में परिवर्तन के प्रावधान को शामिल करने की अनुशंसा की गई, ताकि रैयत द्वारा भूमि का उपयोग कृषि कार्य के अलावा गैर कृषि कार्यों के लिए भी किया जा सके. उद्योग एवं खनन कार्य के अलावा रेलवे, सड़क, बिजली, नहर, विद्यालय, अस्पताल, आंगनबाड़ी इत्यादि के लिए धारा 49 सीएनटी के अन्तर्गत भूमि हस्तांतरण को शामिल करने की अनुशंसा की गई. साथ ही धारा 49 सीएनटी के अन्तर्गत ही भविष्य में आवश्यक आधारभूत संरचनाओं के लिए भूमि हस्तांतरण के लिए परामर्शदातृ परिषद को प्राधिकृत करने की अनुशंसा की गई. बैठक में उपाध्यक्ष डा.लुइस मरांडी, मुख्य सचिव राजीव गौबा सहित परामर्शदातृ परिषद के सदस्यगण एवं संबंधित प्रधान सचिव व सचिव उपस्थित थे.

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