मुकेशश्री.
ज्योतिष शास्त्र में इंसान के अलग अलग कर्म, प्रोफेशन.और बिजनेस के लिएअलग अलग योग बताये गये हैं. ऐसा ही एक योग न्यायाधिश के लिए भी है .ज्योतिष मत के अनुसार शनिदेव न्याय के देवता हैं और यह अगर दूसरे या वाणि भाव में स्वगृही या उच्च के होकर या किसी अन्य कारणों से अनुकुल और मजबूत होकर अवस्थित हों और साथ में अच्छी आय वाले कुछ अन्य योग हों तो आदमी न्यायायिक सेवा या कर्म से जुड़ा हो सकता है या न्यायाधीश की कुर्सी तक भी पहुंच सकता है.यह योग तब भी बनता है जब जब स्वगृही शनि या राहू अष्टम भाव में अवस्थित होता है.अगर अच्छी आय वाला कोई दूसरा योग कुंडली में न हो तो इंसान भले ही न्यायाधिश की कुर्सी पर न बैठे लेकिन वह समाज में ही न्याय करने की हैसियत जरुर रखता है .
मो..9097342912