मुकेशश्री.
किसी भी जातक की पत्नी कैसी होगी यह भी उसकी कुंडली से पता चल जाता है .दरअसल किसी भी व्यक्ति को सुंदर पत्नी भी ग्रह कृपा से ही मिलती है.और यह तय होता है सप्तम भाव, सप्तमेश और सप्तम भाव में अवस्थित ग्हों की स्थिति से .अक्सर यह देखा जाता है कि लोगों को मनपसंद या मन के मुताबिक जीवन साथी नहीं मिल पाती है.किसी की पत्नी कर्कशा होती है तो किसी की पत्नी मधुरभाषी .किसी की पत्नी कुलक्षणी मिलतीहै तो किसी की सुलक्षणा.इतना ही नहीं किसी को कुरुप पत्नी मिलती है तो किसी को खूबसूरत और सुंदर पत्नी.ये तमाम बाते सप्तम भाव और सप्तमेश से प्रभावित होती हैं.हां पंचम और पंचमेश के साथ नवमांश कुंडली का सहयोग भी इसके फलन में लिया जाता है. यहां सुंदर पत्नी प्राप्ति योग पर चर्चा की जा रही है .अगर सप्तम भाव में सूर्य,चंद्र या गुरु में से कोई ग्रह अकेला पाप मुक्त हो कर अवस्थित हो सुंदर पत्नी का योग बनता है अगर इन तीनों में से कोई भी ग्रह सप्तमेश होकर शुभ स्थान पर हो और पाप प्रभाव में न हो तो भी सुंदर जीवन साथी का योग बनता है .यह और बात है कि सूर्य के सप्तमस्थ होने पर पत्नी कर्कशा ,चंद्र के सप्तमस्थ होने पर पत्नी चंचला और गुरु के सप्तमेश होने पर पत्नी विद्वान मिलती है.
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