तेजस्वी को कैसे प्रोजेक्ट किया लालू ने

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प्रमोद दत्त

                               राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाने के समय महावीर प्रसाद व रमई राम जैसे वरिष्ठ नेताओं को नाराज करनेवाले लालू प्रसाद ने अपने पुत्र तेजस्वी यादव को प्रोजेक्ट करने के लिए सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विश्वास में लिया और अपने दल के ही वरिष्ठ नेताओं की परवाह तक नहीं की.

हालांकि लालू प्रसाद विगत लोकसभा चुनाव में ही तेजस्वी को मैदान में उतारना चाहते थे लेकिन तब तेजस्वी की उम्र पूरी नहीं हो रही थी इसलिए बेटी मीसा भारती को मैदान में उतारा.लेकिन युवा राजद नेता के रूप में तेजस्वी को लगातार प्रोजेक्ट किया जाता रहा.इसबार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी को न सिर्फ सबसे सुरक्षित सीट राघोपुर से खड़ा किया गया बल्कि लालू प्रसाद ने उनकी जीत सुनिश्चित कराने के लिए विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया. चुनाव के बाद राजद विधान मंडल दल की बैठक में नेता चुनने के लिए राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को अधिकृत किया गया. लोकतांत्रिक रूप से अधिकार पाने के बाद बड़ी आसानी से उन्होंने राबड़ी देवी को विधान मंडल दल का और तेजस्वी को विधानसभा में विधायक दल का नेता बना दिया. पहले से सदन नेता (मुख्यमंत्री) रह चुकीं राबड़ी देवी के नाम पर निर्णय लेना तो आसान था लेकिन छोटे बेटे तेजस्वी यादव को नीतीश कैबिनेट में दूसरा स्थान (उपमुख्यमंत्री) और बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को तीसरे स्थान पर मंत्री बनाना उतना आसान नहीं था.सूत्रों के अनुसार लालू प्रसाद ने इस निर्णय के पूर्व सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विश्वास में लिया और रघुवंश प्रसाद सिंह व जगतानंद सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं से विमर्श भी करना मुनासिब नहीं समझा.

प्रतिपक्ष के नेता रह चुके अब्दुलबारी सिद्दिकी का कद छोटा कर दिया गया.सिद्दिकी के साथ साथ अल्पसंख्यक समुदाय को भी इससे झटका लगा.लेकिन इस चुनाव में लालू प्रसाद को जो राजनीतिक ताकत मिली है उसके सामने सभी मौन हैं.इसके कई कारण हैं.राजद के जीतकर आए 81 में 44 विधायक पहली बार विधायक बने हैं.50 प्रतिशत से अधिक नए विधायकों के बीच लालू प्रसाद के किसी निर्णय पर टिका टिप्पणी की संभावना वैसे ही कम हो जाती है.दूसरा पूरे चुनाव अभियान को लालू प्रसाद ने अपने पर केन्द्रित रखा और जीत का पूरा श्रेय ले लिया.चुनाव कैंपेन जहां लालू ने संभाल रखा था तो वार रूम पर उनके बेटी-बेटों की निगरानी थी.राजद के उम्मीदवारों की ओर से भी सिर्फ लालू डिमांड में थे. राजद के किसी दूसरे नेताओं की न तो मांग थी और न ही उन्हें मौका दिया गया. लालू प्रसाद ने अधिकांश नए लोगों को टिकट एक रणनीति के तहत ही दी.पहला पुरानी सरकार के दौरान दागदार चेहरे की छटनी और दूसरा नई टीम में तेजस्वी को फिट करने में आसानी ही उनका उद्देश्य था.राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि जब से लालू प्रसाद चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित हुए तब से ही वे अपने बेटों के लिए राजनीति में जगह बनाने की जुगत लगा रहे थे व रणनीति बना रहे थे.इस चुनाव में उनकी रणनीति कामयाब हुई और तेजस्वी को प्रोजेक्ट करना आसान हो गया.

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सन् 1980 से पत्रकारिता. 1985 से विभिन्न अखबारों एवं पत्रिकाओं में विभिन्न पदों पर कार्यानुभव. बहुचर्चित चारा घोटाला सहित कई घोटाला पर एक्सक्लुसिव रिपोर्ट, चारा घोटाला उजागर करने का विशेष श्रेय. ‘राजनीति गॉसिप’ और ‘दरबारनामा’ कॉलम से विशेष पहचान. ईटीवी बिहार के चर्चित कार्यक्रम ‘सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार’, साधना न्यूज और हमार टीवी के टीआरपी ओरियेंटेड कार्यक्रम ‘पड़ताल - कितना बदला बिहार’ के रिसर्च हेड और विभिन्न चैनलों के लिए पॉलिटिकल पैनलिस्ट. संपर्क – 09431033460

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