संवाददाता, पटना. बिहार,झारखंड,उत्तर प्रदेश सहित देशभर में सूर्य उपासना का लोकपर्व छठ की धूम है.चार दिवसीय आस्था का यह महापर्व रविवार को नहाय -खाय शुरू हुआ जो बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ सम्पन्न होगा.
इस महापर्व में शामिल होने के लिए देश के अलग-अलग इलाकों से करीब पांच लाख लोग बिहार पहुंचे हैं. इसके अलावा देशभर में जहां भी बिहार-झारखंड के लोग हैं वहां छठ मनाया जा रहा है.सूत्रों के अनुसार इस साल छठ पूजा के लिए सामानों की खरीद-बिक्री 280 करोड़ रुपए से ज्यादा होने का अनुमान है.एक अनुमान के अनुसार बिहार में करीब 80 लाख घरों में छठ पूजा होती है. एक पूजा पर 3500 से चार हजार रु. खर्च होते हैं.इस अवसर पर लगभग 280 करोड़ रु. का कारोबार होता है.
छठ में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है. बिना पुरोहित होने वाले इस पूजा को इसीलिए लोक आस्था का पर्व कहा जाता है. चार दिन तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है. अगले दिन खरना होता है. इसका प्रसाद खाने के बाद व्रती दो दिन तक पानी भी नहीं पीते हैं. इस दौरान पहले डूबते, फिर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. बिहार में सबसे ज्यादा श्रद्धालु पटना में गंगा किनारे जुटते हैं. हाल के वर्षों में भीड़ बढ़ने के कारण लोगों ने घरों की छत या मुहल्ले में बनाए गए अस्थायी तालाबों से ही अर्घ्य देना शुरू कर दिया है. बिहार में देव, औंगारी, बड़गांव और उलार में सूर्य मंदिर हैं. यहां भी भारी भीड़ जुटती है.इसके अलावा बिहार की सभी नदियों में स्थानीय लोगों द्वारा छठ मनाया जाता है.जहां करीब में नदियां नही वहां तालाब में या छोटा तालाब बनाकर यह पर्व मनाया जाता है. छठ अब सिर्फ बिहार का न होकर पूरे देश और दुनिया का पर्व बन चुका है.
उल्लेखनीय है कि तीन साल पहले पटना के गंगा के घाट पर भगदड़ में 22 लोगों की मौत हो गई थी. तब से सुरक्षा इंतजाम बढ़ा दिए गए हैं. इस बार भी सिर्फ पटना में 10 हजार जवान और एक हजार अधिकारियों को तैनात किया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पर्व शुरू होने से पहले गंगा घाटों का दौरा किया और सुरक्षा प्रबंध को लेकर निर्देश दिए.