प्रमोद दत्त (पटना)….
नीतीश कुमार के नेतृत्व और महागठबंधन के प्रयोग पर अपनी सहमति की मुहर लगाते हुए बिहार की जनता ने तीसरी बार नीतीश कुमार पर भरोसा जताया है.विधान सभा के आम चुनाव में कुल 243 में 178 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए लालू-नीतीश की जोड़ी ने भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए का लगभग सफाया कर दिया और एनडीए 58 सीटों पर सिमट गई.
मतगणना के पूर्व आए सारे एग्जिट पोल के अनुमान फेल कर गए जबकि लालू प्रसाद का 190 सीटों का अनुमान सटीक साबित हुआ.महागठबंधन को मिली 178 सीटों में सबसे अधिक राजद को 80,जदयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत हासिल हुई.दूसरी ओर एनडीए को मिली 58 सीटों में भाजपा को 53,लोजपा को 2, रालोसपा को 2 और हम को मात्र एक सीट पर जीत मिली.निर्दलीय व अन्य के खाते में 7 सीटें गई.भाजपा की साख सिर्फ तिरहुत प्रमंडल में बची वहीं लालू-नीतीश को शेष सभी क्षेत्रों में भारी सफलता मिली.
मोदी लहर को रोकने वाले महागठबंधन के सभी घटक दलों का स्ट्राइक रेट शानदार व चौंकानेवाला रहा. जदयू ने 101 उम्मीदवार उतारे थे जिसमें 71 सीटों पर अर्थात 70 प्रतिशत सीटों पर जीत मिली.इसी प्रकार 101 सीटों पर लड़ने वाले राजद को 80 सीटों पर अर्थात 79 प्रतिशत और 41 सीटों पर लड़ी कांग्रेस को 27 सीटों पर यानि 66 प्रतिशत सीटों पर कामयाबी मिली.
उत्साहवर्धक परिणाम के बाद जनता के प्रति आभार प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस चुनाव पर देश भर की निगाहें टिकी हुई थी.राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में भी इस चुनाव का महत्व है.स्पष्ट हुआ कि लोग राष्ट्रीय स्तर पर सशक्त विकल्प व सशक्त विपक्ष की चाहत रखते हैं.अब जनादेश के अनुरूप गठबंधन के लोग मिलकर काम करेंगे.अब तक चुनाव के पूर्व जो भी हुआ हो,अब जनादेश आ गया है.उम्मीद है कि बिहार के विकास के लिए केन्द्र का सहयोग मिलेगा.
चुनाव परिणाम से उत्साहित राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा कि बिहार में भाजपा का सुपड़ा साफ हो गया है.अब नीतीश जी के नेतृत्व में बिहार का तेज विकास होगा.देश हित में भाजपा को दिल्ली की गद्दी पर बनाए रखना देश को टुकड़ा-टुकड़ा करने जैसा है.हम फ्री होकर भाजपा के खिलाफ देश भर में मुहिम चलाएंगे.लालटेन लेकर बनारस भी जाएंगे.
चुनाव परिणाम को स्वीकारते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने नीतीश- लालू को बधाई देते हुए कहा कि भाजपा रचनात्मक विपक्ष की भूमिका निभाएगी.भाजपा की हार की समीक्षा की जाएगी कि रणनीति में कहां चूक हुई.
उल्लेखनीय है कि बिहार चुनाव से राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं.एक ओर केन्द्र की मजबूत एनडीए सरकार और नरेन्द्र मोदी जैसे मजबूत नेतृत्व को बड़ी चुनौती मिली है तो दूसरी ओर तमाम भाजपा- विरोधी दलों के ध्रुवीकरण की इसे शुरूआत मानी जा रही है.इसके अलावा एनडीए के घटक दलों के साथ साथ भाजपा के आंतरिक मतभेद ने जहां एनडीए को कमजोर किया वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के बीच समय पर तालमेल और चुनाव पूर्व ही मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा से उनकी एकजुटता का संदेश गया.एक ओर नीतीश कुमार का चेहरा तो दूसरी ओर चेहरे पर विवाद व कई दावेदार.इसके अलावा विकास के मुद्दे से भटकते हुए डीएनए,बीफ,ओझा,शैतान,भुजंग आदि को लेकर की गई टीका-टिप्पणी. बाद में आरक्षण पर उठे विवाद के बाद लालू प्रसाद के आक्रामक रूख ने एनडीए का सफाया कर दिया.
नीतीश कुमार के लिए इस बार चाणक्य की भूमिका में आए लालू प्रसाद ने एक बार फिर किंग मेकर की उपाधि ले ली है.लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की जोड़ी को मिले जनादेश का साफ संकेत है कि केन्द्र की सरकार अधिक दिनों तक “फील गुड” में रही तो आगे भी एनडीए के लिए “ बैड रिजल्ट “ आ सकता है.