तेजी से खुलते स्टेम सेल बैंक

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इशान दत्त

                अब भारत में भी तेजी से खुलने लगे हैं,निजी स्टेम सेल बैंक.लोगों के स्वास्थ्य व उपचार का ख्याल रखते हुए कानूनी दायरे में इसके संचालन की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दी जा रही है.यूरोप और अमेरिका में बहुत पहले से निजी स्टेम सेल बैंक का संचालन हो रहा है और जरूरतमंद अस्वस्थ्य लोगों को खून के समान स्टेम सेल भी बेचे जा रहे हैं.

मानव शरीर में सैंकड़ों तरह के सेल होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अतिमहत्वपूर्ण हैं.यह सेल हमारे शरीर को हमेशा सक्रिय रखने,दिल की धड़कन,सोचने-समझने,त्वचा की रक्षा करते हैं.इनसे जुड़े सारे सेल को बचाने का काम सिर्फ स्टेम सेल ही कर सकते हैं.स्टेम सेल क्षतिग्रस्त सेलों को मरम्मत करने और मृत हो चुके सेल को पुनर्जीवित करने का काम करता है.यह स्टेम सेल हमारे शरीर के अंदर डाक्टरों की सुक्ष्म सेना के समान है.

स्टेम सेल कई तरह के होते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि हर अंगों में अपना विशेष तरह के स्टेम सेल होते हैं.उदाहरणार्थ, मानव शरीर का रक्त हिमेकोपोइटिक नामक रक्त स्टेम सेल से बनता है.स्टेम सेल जन्म के पूर्व गर्भ में ही बच्चे के शरीर में आ जाता है.जन्म के बाद बच्चे के एम्बिकल कॉर्ड(नाभि) को प्रयोगशाला में प्रिजर्व कर उसे एम्ब्रोयनिक स्टेम सेल के रूप में विकसित कर लिया जाता है.एम्ब्रोयनिक स्टेम सेल का प्राकृतिक काम शरीर के प्रत्येक अंग को बनाने एवं विकसित करने का होता है.इसी कारण वैज्ञानिक एम्ब्रोयनिक स्टेम सेल को लेकर बहुत उम्मीदों से भरे और उत्साहित रहे हैं.

रक्त स्टेम सेल सिर्फ रक्त बना सकते  हैं जबकि एमब्रोयनिक स्टेम सेल रक्त के अलावा हड्डी,त्वचा,मस्तिष्क आदि सभी अंगों को बना सकते हैं.इसके अलावा एमब्रोयनिक स्टेम सेल प्राकृतिक रूप से अंग बनाने की क्षमता भी रखता है.मतलब यह कि एमब्रोयनिक स्टेम सेल में बीमार या क्षतिग्रस्त अंगों को सुधारने या स्वस्थ्य करने की अपार प्राकृतिक क्षमता है.

   1960 में टोरंटो विश्वविद्यालय में अर्नेस्ट ए. मैककुलक और जेम्स इ. टिल ने स्टेम सेल पर विस्तृत शोध किया था.सबसे पहला ह्युमन एमब्रोयनिक स्टेम सेल वुसुक हवैंग और उनकी दक्षिण कोरियन टीम ने बनाया था.आज मानव शरीर के उपचार से जुड़ी खोजों में इस शोध को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.जीन,क्लोनिंग,म्युटेशन जैसी उपचार से संबधित खोज के समान स्टेम सेल की खोज को भी वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि माना जाता है.

  अब तो दुनिया भर में स्टेम सेल बैंक इतना महत्वपूर्ण हो चुका है कि भारत सरकार ने भी इसकी जरूरत को समझते हुए निजी स्टेम बैंक खोलने की अनुमति कुछ कानूनी शर्तों के साथ दे रही है.लाइफ सेल भारत में पहला निजी स्टेम सेल बैंक है जहां बच्चों के जन्म के बाद अम्बिकल कॉर्ड को जमा किया जाता है और चेन्नई में प्रिजर्व रखा जाता है.ताकि भविष्य में बच्चे के उपचार में काम आ सके.लाईफ सेल के ब्रांचेज मुंबई,अहमदाबाद,बेंगलूर,दिल्ली,गुड़गांव,चेन्नई,हैदराबाद, कोच्ची, सूरत,पूणे,जयपुर,सहित अनेक जगह खुल चुके हैं.

    यूरोप व अमेरिका में तो बहुत पहले से ढेर सारे निजी स्टेम बैंक चल रहे हैं.यहां कोई भी अपना स्टेम सेल बेच देता है और जरूरतमंद व्यक्ति उस बैंक से स्टेम सेल खरीदता है.लेकिन भारत में लाईफ सेल ने यह तय कर रखा है कि प्रिजर्व किए गए किसी के स्टेम सेल की खरीद बिक्री नहीं होगी.इसे सिर्फ डोनेट करके ही किसी जरूरतमंद का उपचार किया जाएगा.लेकिन जानकारों का मानना है कि देर सबेर भारत में भी यूरोप के समान स्टेम सेल की खरीद बिक्री शुरू हो सकती है.और जब यह शुरू होगा तब इसकी कीमत इतनी होगी कि आम लोंगो की पहुंच से दूर हो जाएगा इससे इलाज.इसलिए स्टेम सेल बैंकों का विस्तार करते हुए इसपर सरकारी नियंत्रण भी आवश्यक होगा.

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