गौरवशाली रेल मंडल अस्पताल बना रेफरल अस्पताल

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सुधीर मधुकर, दानापुर.पूर्व मध्य रेल का सब से पुराना और सुविधा-संपन्न दानापुर रेल मंडल मुख्यालय में स्थापित रेल  मंडल अस्पताल इस समय अपनी गौरवशाली अस्तित्व को बचाने में लगा हुआ है . मंडल के डीआरएम रमेश कुमार झा ने मंडल में पदभार ग्रहण करने के बाद सब से पहले अस्पताल का औचक निरिक्षण कर सख्त निर्देश दिया है कि , रोगियों के ईलाज में कहीं से भी किसी तरह की लापरवाही बर्दास्त नहीं होगी .बाबजूद कार्यशैली में कोई बदलाव होता नहीं दिख रहा है .

 अस्पताल की विश्वसनीयता इतनी थी कि पूर्व रेल मंत्री स्व.ललित नारायण मिश्र जब समस्तीपुर में बम बलास्ट में घायल हुए तो , उसे इसी मंडल अस्पताल में ईलाज के लिए लाया गया था . यहाँ कभी ख्याति प्राप्त नर्सिंग ट्रेनिग स्कूल हुआ करता था ,जिसे साजिश के तहत वर्षों पहले ही बंद कर दिया गया . आईसीयू में भर्ती रोगियों को भी बाजार से दवा ख़रीदनी पड़ती है . आउटडोर के रोगियों को   पांच में से दो ही दवा मिलती ही नहीं है . मुख्यालय से पूरी दवा नहीं भी मिली है . बाजार से दवा खरीद का 2,00000 रूपये बकाया पड़ा हुआ है . इस लिए बाजार से दवा भी नहीं मिल रहा है . इसी लिए समुचित ईलाज और दवा के अभाव में खास कर गंभीर रोगी इस अस्पताल में भर्ती होने से घबराते हैं  .

पूर्व मध्य रेलवे कर्मचारी यूनियन के महामंत्री शशिकांत पाण्डेय का कहना है कि , यहाँ डाक्टरों की एक फौज है ,फिर भी डाक्टर ईमानदारी से रोगियों का अपने अस्पताल में ईलाज करने के बजाय ,उसे सेन्ट्रल अस्पताल या पीएमसीएच में रेफर कर देते हैं . यह अस्पताल रेफरल अस्पताल बन कर रह गया है . सांप काटने की दवा होने के बाद भी रोगी को यहाँ से रेफर कर दिया गया . यहाँ के डाक्टर अपने कार्य के प्रति जिम्मेदार नहीं हैं . पांडेय कहते हैं कि मुख्यालय में नहीं रहने वाले डाक्टरों को खुद ही नैतिकता के आधार पर नन प्रैक्टिस एलाउंस और हॉउस रेंट लेना बंद कर देना चाहिए . इनकी दिलचस्पी रेल अस्पताल से अधिक निजी क्लीनिक चलाने  में है . लगभग यही स्थिति  सुपर स्पेशलिस्ट सेन्ट्रल रेल अस्पताल,पटना की भी है . पटना सुपर स्पेशलिस्ट के लिए , इस मंडल अस्पताल से  कर्मचारियों , डाक्टरों और उपस्करों में पहले भी करीब 20 प्रतिशत की कटौती की जा चूकी है .202 बेड से घटकर 160 बेड का रह गया है . इस के बाबजूद आगे भी भारी कटौती करने का प्रस्ताव है . इस पर तत्काल रोक लगे ताकि फिर से रोगियों का इस अस्पताल से उसका विश्वास जुड़े और इसका गौरव फिर से वापस हो . उच्च अधिकारियों के साथ बैठक में अस्पताल की समस्याओं से उसे अवगत कराया जाता है पर समाधान नहीं होने से आक्रोश बढ़ रहा है . अन्य  कर्मचारी संगठनों के नेता बशिष्ठ पाठक , शोभाकांत झा ,ब्रजेश प्रसाद आदि का कहना है कि इस अस्पताल के अधिकांश अच्छे डाक्टर सेन्ट्रल अस्पताल चले गए हैं . शाम 5 बजे से सुबह 10 बजे तक दो-तीन को छोड़ कोई भी डाक्टर मुख्यालय में नही रहते हैं एनेसथिसिया या महिला डाक्टर भी मुख्यालय से बाहर ही रहती हैं . इस लिए समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता हैं. इस की वजह से  इमरजेंसी रोगी का यहाँ ओपरेशन संभव नहीं है.

 अस्पताल में स्वीकृति के बाद भी सेमीओटोलाइजर,इलेक्ट्रोलाईट,हीमोटोलोजी,टीएमटी,अल्ट्रासाउंड( कार्डियो ) आदि मशीन आज तक मिल नहीं पाई है . इस के कारण समुचित जांच नहीं हो रहा है . पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में को शुरू किया गया टेलीमेडीशिन की उपयोगिता भी समाप्त हो गई है . एम्बुलेंस दो में से मात्र एक है वह भी महिला कल्याण समिति ने दे रखी है. अधिकारियों के लिए बना वार्ड प्रायः बंद ही रहता है . भला इस अस्पताल पर कैसे किसी कर्मचारियों का भरोसा हो . मंडल अस्पताल के प्रभारी डॉ.एके सिंह का कहना है कि इस मंडल अस्पताल को 85प्रतिशत दवा मुख्यालय से खरीद कर मिलती है . जब कि इमरजेंसी होने पर 15 प्रतिशत दवा बाजार से खरीद सकते हैं ,इसके लिए अनुमति मिली है . जरुरत पड़ने पर गंभीर रोगियों के समुचित ईलाज के लिए रेलवे के सुविधा संपन्न और निजी अस्पतालों में भी भेजा जाता है .

अस्पताल में करीब एक लाख से अधिक कार्यरत रेलकर्मी , सेवानिवृत एवं इस के आश्रितों आदि के ईलाज की जिम्मेदारी सौंपी गयी है . हमारी पहली प्राथमिकता है , रोगियों के विश्वास को हासिल करना . इस समय आउटडोर में 300 से 400रोगी ईलाज के लिए रोज आते हैं . उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया है कि , अस्पताल के 17 में से मात्र 3 डाक्टर मुख्यालय में रहते हैं . अगर उसे भी यहाँ रेल आवास में रहने की सुविधा मिल जाए तो फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा . जब कि मुख्यालय से बाहर रहने वाले डाक्टरों का कहना है कि , रेल आवास उसे मिल कहाँ रहा है . मंडल से ट्रांसफर के बावजूद हाजीपुर मुख्यालय में पदस्थापित अधिकारी भी मंडल मुख्यालय के रेल आवासों में वर्षों से रह रहे हैं . पूर्व मध्य रेल के प्रभारी मुख्यचिकित्सा निदेशक एवं सपर स्पेशलिस्ट रेल अस्पताल के एमडी डॉ.संजय कुमार का कहना है कि ,रोगियों को ईलाज और दवा उपलब्ध कराना मंडल अस्पताल का काम है . हमें जो भी समस्या बतायी जाती है ,उसका समाधान तुरंत कर दिया जाता है .

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