निशिकांत सिंह, रांची.झारखंड सरकार एक नया कानून ला रही है जिसके अंतर्गत राज्य के सभी शहरों में बिना नक्शा के बने भवनों को वैध किया जाएगा. इन अवैध भवनों को नियमित करने के लिए नगर विकास विभाग नियमावली बनाएगा. यह जानकारी राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने बीते दिनों एटीआई में झारखंड बिल्डिंग बायलॉज 2015 पर आयोजित कार्यशाला में दी.
सिंह ने कहा कि शहर के अंदर जमीन नहीं है. इसलिए अब हाइराइज बिल्डिंग बनाने की जरूरत है. उन्होंने नए बिल्डिंग बायलॉज में एफएआर बढ़ाने, कमजोर व निम्न आय वर्ग के लिए कॉलोनी डेवलप करने पर जोर दिया. कहा कि नक्शा पास करने वाली एजेंसी, बिल्डर और आर्किटेक्ट तय करें कि बहुमंजिले भवनों में हरियाली, रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था हो. सीपी सिंह का दावा है कि शहर को बर्बाद करने में आम लोगों से अधिक जिम्मेवार अधिकारी हैं. अफसरों को अवैध भवन की सूचना रहती है. पहले वे चुप रहते हैं. बाद में भवन मालिक से किस्तों में पैसे की वसूली होती है. नक्शा पास करने में पैसे का खेल चलता है. कागज पर तो एक इंच गड़बड़ी नहीं रहती, लेकिन भवन गड़बड़ियों की भरमार होती है. पांच फीट संकरी गली में पांच मंजिला अपार्टमेंट बन जाता है. आर्किटेक्ट, डेवलपर्स और अधिकारी इस सिस्टम को बदलें.
आर्किटेक्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव चड्डा ने कई संशोधन के सुझाव दिए. कार्यक्रम में सूडा निदेशक राजेश शर्मा, नगरीय निदेशक एसआर सिंह, टाउन प्लानर गजानंद राम, घनश्याम अग्रवाल, क्रेडाई अध्यक्ष कुमुद झा, बिल्डर एसो. के आरएस अग्रवाल, सुजीत भगत सहित कई लोग उपस्थित थे.
बनी हाई लेवल एक्सपर्ट कमेटी : बिल्डिंग बायलॉज के लिए विभाग ने हाई लेवल कमेटी बनाई है. इसमें एटीआई, आईआईटी खड़गपुर, नगर विकास के चीफ इंजीनियर, बीआईटी मेसरा आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट के एचओडी सहित आर्किटेक्ट और बिल्डर एसोसिएशन के पांच प्रतिनिधियों को एक्सपर्ट के रूप में रखा गया है.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए बनेगा सख्त कानून : सचिव
नगर विकास सचिव अरुण कुमार सिंह ने कहा कि बिल्डिंग बायलॉज सभी शहरों के लिए बनाया जा रहा है. स्टेक होल्डर बेहतर टाउनशिप के लिए अपने सुझाव दें. गिरते जलस्तर को देखते हुए अब रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य किया जाएगा. इसके लिए सख्त कानून बनाया जा रहा है. रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं करने वालों पर प्रोपर्टी टैक्स से डेढ़ गुणा अधिक जुर्माना लगेगा. बहुमंजिले भवनों में सोलर एनर्जी, ग्रीन बिल्डिंग कांसेप्ट को लागू किया जाएगा.