संवाददाता.रांची.झारखंड राज्य के गठन के 15 वर्षों बाद राज्य में स्थानीय नीति का निर्णय लिया गया.रघुवर कैबिनेट ने गुरूवार को राज्य की स्थानीय नीति को मंजूरी दे दी है. इसके तहत जो झारखंड में 30 साल से अधिक समय से रह रहे हैं, यहां पर जमीन जायदाद है या यहां नौकरी कर रहे हैं तो वे अब झारखंडी कहलाएंगे.उनके परिवार के सदस्यों को राज्य की तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की नौकरी के लिए रास्ता साफ हो गया. झारखंड सरकार ने स्थानीय नीति के लिए कट ऑफ डेट तय कर दिया है. 1986 कट ऑफ डेट निर्धारित किया गया है.प्रमुख विपक्ष झमुमो ने इस नीति पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आदिवासी-मूलवासी छले गए हैं.पार्टी ने इसके खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है.
उल्लेखनीय है कि स्थानीय नीति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था.बाबूलाल मरांडी की सरकार के समय डोमिसाइल की पहल की गई थी.उसी समय जो विवाद शुरू हुआ वह अबतक जारी था.इस मुद्दे पर लगातार सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान चल रही थी.विधानसभा के पिछले सत्र में भी विपक्ष चार दिनों तक सदन नहीं चलने दी थी.मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शीघ्र नीति बनने की घोषणा की थी.
गुरुवार को प्रोजेक्ट भवन में हुई कैबिनेट की बैठक में स्थानीय नीति को स्वीकृति दी गई. इसके अलावा कुल 23 प्रस्तावों पर कैबिनेट ने मुहर लगाई. मालूम हो कि राज्य गठन के बाद से ही स्थानीय नीति घोषित करने की मांग लगातार चल रही थी. इसे लेकर कई बार आंदोलन हुए. बाबूलाल मरांडी की सरकार के समय हुए डोमिसाइल आंदोलन में कई लोगों की जान भी गई थी.