मुकुन्द सिंह. पटना. बिहार के उलार सूर्य मंदिर में चैत्र एवं कार्तिक माह में लोकपर्व छठ बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है ।यह मंदिर धार्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है ।बताया जाता है ,कि द्वापर युग में श्री कृष्ण ने मानस पुत्र राजा शाम्ब किसी कारणवश कुष्ट रोग से ग्रसित हो गए थे ।रोग से ग्रसित होने के बाद राजा शाम्ब विचलित रहा करते थे ।इसी बीच नारद जी ने राजा शाम्ब को इसके निवारण हेतु सूर्य उपासना की सलाह दी ।राजा शाम्ब ने उनकी सलाह मान कर अभ्रंश नाम ओलार्क (उलार) में सूर्य उपासना कर दी ।जहां रोग ठीक होते ही राजा शाम्ब ने उलार में एक सुर्य मंदिर का निर्माण कराया। जहां आज भी उस समय का उलार शिव मंदिर के गर्भगृह मे तीन रूपों में मूर्तियां विराजमान है ।जो यथा प्रातः ब्रम्ह स्वरूप ,मध्यान रूद्र रूपेन, सयंकालीन लक्ष्मीनारायण शामिल है। इसके अलावा उस समय के उलार सूर्य मंदिर में काले काले रंग के दर्जनों की खंडित मूर्तियां विराजमान है ,जो भी सच्चे दिल से यहां आकर भगवान भास्कर की प्रतिमा पर जलाभिषेक के साथ पूजा अर्चना करते है ।उन्हें मनोवांक्षित फल की प्राप्ति होती है ।प्रत्येक साल चैत व कार्तिक माह में दूर-दराज से छठवर्ती छठ व्रत करने के लिए यहां आते हैं ।इस मौके पर छठ व्रतियों की भीड़-भाड़ से पूरा विरार मंदिर के प्रांगण सहित पवित्र तालाब के चारों ओर मेला का दृश्य उत्पन्न हो जाता है ।ऐसी मान्यता है कि कोई भी व्यक्ति अगर कुष्ठ रोग से ग्रसित है तो उलार के पवित्र तालाब में स्नान करके मंदिर में जाकर भगवान भास्कर की प्रतिमा पर जलाभिषेक के साथ पूजा अर्चना करें तो उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल सकती है ।बताया जाता है, कि पवित्र तलाव का बालू मिश्रित पानी गंधक युक्त है। जो इस रोग में इसका पवित्र पानी रामबाण की तरह काम करता है ।यहां पर दूर दराज से श्रद्धालु प्रत्येक रविवार को भगवान भास्कर की प्रतिमा पर जलाभिषेक करते हैं