होलीका दहन, जिसे होलीका दीपक या छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है, रंगों के पर्व होली के पूर्व संध्या पर मनाया जाने वाला एक प्राचीन अनुष्ठान है। यह प्राचीन परंपरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है, जिसमें पौराणिक राक्षसी होलिका के पुतले को जलाया जाता है। यह पर्व हिंदू पंचांग के फाल्गुन मास की पूर्णिमा की रात को मनाया जाता है। होलीका दहन उस पौराणिक कथा की याद दिलाता है जिसमें भगवान विष्णु ने होलिका पर विजय प्राप्त की थी। इस वर्ष होलीका दहन 13 मार्च, गुरुवार को मनाया जाएगा, जिसमें शुभ मुहूर्त रात 11:26 बजे से 12:31 बजे (14 मार्च) तक रहेगा।
होलीका दहन की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकशिपु नाम का एक राक्षस राजा अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति अटूट भक्ति से क्रोधित था। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने का आदेश दिया। होलिका के पास एक दिव्य चादर थी, जो उसे अग्नि से बचाती थी। वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से वह चादर उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गई, जिससे प्रह्लाद सुरक्षित बच गए और होलिका आग में जलकर भस्म हो गई। इस प्रकार, यह पर्व अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक बन गया।
होलीका दहन का महत्व
अच्छाई की बुराई पर विजय: होलीका दहन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है, जैसा कि प्रह्लाद और होलिका की कथा में बताया गया है।
अटूट भक्ति का प्रतीक: प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति अटूट भक्ति, जो जीवन के खतरे के बावजूद भी अडिग रही, भक्तों को अपनी आस्था पर दृढ़ रहने की प्रेरणा देती है।
वसंत ऋतु का आगमन: यह पर्व वसंत ऋतु के आगमन का भी प्रतीक है, जो नई शुरुआत और नवजीवन का प्रतीक माना जाता है।
सामूहिक एकता और सामाजिक सौहार्द: होलीका दहन के आयोजन के समय लोग एक साथ इकट्ठे होते हैं, जिससे आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ता है। यह पर्व लोगों के बीच सामूहिक एकता और सामाजिक समरसता को बढ़ाता है।
होलीका दहन के अनुष्ठान
होलीका दहन के समय भक्त पवित्र मंत्रों का उच्चारण करते हुए अग्नि प्रज्वलित करते हैं। इस अनुष्ठान के समय भक्त अग्नि की परिक्रमा तीन, पांच या सात बार करते हैं और एक जल से भरा पात्र लेकर अग्नि की अंतिम परिक्रमा के बाद उसे खाली करते हैं।
अनुष्ठान के बाद भक्त अपने माथे पर तिलक लगाते हैं और भुने हुए या पके हुए मौसमी अनाज का सेवन करते हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ भक्त होलीका की राख का एक छोटा भाग अपने घर ले जाते हैं, जिसे शुभ और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
होलीका दहन की ये परंपराएं भारतीय समाज में आस्था, भक्ति और आपसी प्रेम का संदेश देती हैं।