ईशान दत।पटना। बिहार में कैंसर की पहचान और इलाज को लेकर एक नई पहल की जा रही है। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्री जीतन राम माझी 8 मार्च को डॉ. प्रज्ञान रंजन डायग्नोस्टिक्स एंड रिसर्च सेंटर, कंकड़बाग, पटना में निःशुल्क ग्रामीण कैंसर जांच कार्यक्रम का लोकापर्ण करेंगे। इस अवसर पर बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन भी मौजूद रहेंगे।
बिहार के 45,000 गांवों तक पहुंचेगी जांच सुविधा
इस नए मॉडल के तहत ग्रामीण कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम को राष्ट्रीय डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है। इस अभियान में बिहार के 38 जिलों के 45,000 गांवों की 8,387 पंचायतों को शामिल किया गया है। पहले चरण में 1,395 गांवों की 150 पंचायतों को जोड़ा जाएगा, जहां कैंसर जांच और शुरुआती उपचार की सुविधा दी जाएगी।
निःशुल्क ऐप से होगी ग्रामीण कैंसर जांच
कार्यक्रम के अंतर्गत एक नया मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर की शुरुआती पहचान करना आसान होगा। इस ऐप के माध्यम से गांव के मुखिया और पंचायत समिति के सदस्य लोगों से संपर्क करेंगे और हर घर में इसे डाउनलोड करने को प्रोत्साहित करेंगे।
डॉ. प्रभात रंजन के अनुसार, इस ट्रायल के तहत 12 गांवों में 14,000 लोगों की जांच हुई, जिसमें 32 मरीजों में कैंसर की पहली अवस्था और 5 मरीजों में दूसरी अवस्था की पहचान हुई। इन मरीजों को तुरंत इलाज की सुविधा दी गई, जिससे कुछ मरीज पूरी तरह कैंसर मुक्त भी हो चुके हैं।
बदल रही है ग्रामीण मानसिकता
डॉ. प्रभात रंजन ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में लोग बीमारी छिपाने की आदत होती है, जिससे बीमारी में बढ़ जाती है। परंतु इस जागरूकता अभियान के तहत अब लोग डॉक्टरों से सीधे संपर्क करने लगे हैं और समय पर जांच करवाने के लिए तैयार हो रहे हैं। इससे चौथे स्टेज के कैंसर रोगियों की संख्या कम होगी ही, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भी भार कम होगा।
पोर्टल के जरिए गरीब मरीजों को मुफ्त इलाज मिलेगा
गरीब मरीजों को आयुष्मान भारत योजना और मुख्यमंत्री मेडिकल सहायता कोष के माध्यम से आयुष्मान भारत पोर्टल के जरिए मुफ्त इलाज दिया जाएगा। सरकार और समाज के सहयोग से यह मॉडल बिहार में कैंसर के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
बिहार बनेगा कैंसर जागरूकता मॉडल
बिहार में पहली बार ऐसा व्यापक ग्रामीण कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह मॉडल सफल हुआ तो इसे देश के अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सकता है।
यह कार्यक्रम कैंसर के खिलाफ निर्णयात्मक लड़ाई का हिस्सा होगा, जहां शुरुआत में ही बीमारी की पहचान कर मरीजों को समय पर सही इलाज दिलाने पर बल दिया जाएगा।