नई दिल्ली.इस समय देश के हर कोने में इस योग के कार्यक्रम से लोग जुड़े हुए हैं और विश्व के सभी देश अपने-अपने समय की सुविधा से इस कार्यक्रम के साथ जुड़े हुए हैं। यूनाइटेड नेशन्स द्वारा पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। भारत के अनुरोध पर गत वर्ष इसका प्रारंभ हुआ। 21 जून की तारीख इसलिए पसंद की गई कि एक प्रकार से विश्व के एक बहुत बड़े हिस्से में आज का दिवस सबसे लंबा दिवस होता है और एक प्रकार से सूर्य से निकट नाते का यह पर्व होता है और उसे ध्यान में रखते हुए 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में पसंद किया गया है। पूरे विश्व का समर्थन मिला, विकसित देश हो, विकासमान देश हो, समाज के हर तबके का समर्थन मिला।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंडीगढ़ में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर वहां योग कार्यक्रम में भाग लिया तथा योग करने आए लोगों को संबोधित करते हुए उक्त बाते कहीं।उन्होंने कहा कि वैसे यूनाइटेड नेशन्स के द्वारा कई ऐसे अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाए जाते हैं। मैं सबका उल्लेख नहीं करता हूं लेकिन शायदयूनाइटेड नेशन्स द्वारा मनाए गए इतने सारे दिवसों में कोई दिवस जन आंदोलन बन गया हो विश्व के हर कोने में उसको समर्थन और स्वीकृति प्राप्त होती हो, शायद अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की बराबरी कोई और दिवस नहीं कर पा रहा है वह भी एक साल के भीतर-भीतर|
सभी संप्रदाय, धर्म, भक्ति, पूजा-पाठ, वो इस बात पर बल देते है कि मृत्यु के बाद इहलोक से निकलकर के जब परलोक में जाएंगे तो आपको क्या प्राप्त होगा। आप अगर इस प्रकार से पूजा-पद्धति करेंगे, ईश्वर की साधना-अराधना करेंगे तो आपको परलोक में ये मिलेगा। योग परलोक के लिए नहीं है। मृत्यु के बाद क्या मिलेगा, इसका रास्ता योग नहीं दिखाता है और इसलिए ये धार्मिक कर्मकांड नहीं है। योग इहलोक में तुम्हारे मन को शान्ति कैसे मिलेगी, शरीर को स्वस्थता कैसेमिलेगी, समाज में एकसूत्रता कैसे बनी रहेगी, उसकी ताकत देता है। ये परलोक का विज्ञान नहीं है, इसी इहलोक का विज्ञान है। इसी जन्म में क्या मिलेगा, उसकी का विज्ञान है। मैं फिर एक बार इस महान परंपरा को प्रणाम करते हुए, उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए, बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूँ।