नकल पर नकेल से छात्र व सरकार दोनों फेल

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निशिकांत सिंह.पटना.मैट्रिक के रिजल्ट ने सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी. राज्य में आधे से अधिक छात्र फेल हो गए. शिक्षा मंत्री ने कहा कि कड़ाई से परीक्षा लेने का यह परिणाम है. लेकिन शिक्षा मंत्री को अपनी उस पुरानी घोषणा पर भी सफाई देनी होगी कि उन्होंने बच्चों का कोर्स पूरा कराने के लिए स्पेशल क्लास की कैसी व्यवस्था की जिसका नतीजा सामने है.

सबसे बड़ा सवाल बिहार सरकार परीक्षा में नकल पर नकेल तो कसी लेकिन सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की व्यवस्था पर ध्यान क्यों नहीं लगाया. टाईम पास करनेवाले शिक्षकों पर भी क्यों नहीं नकेल कसा गया. छात्रों का भी नामांकन रफ्तार सिर्फ साईकिल व छात्रवृति के लिए बढी.परीक्षा नकल भरोसे और पास होना सिर्फ डिग्री के लिए रह गया है उनके लिए.

जबकि शिक्षामंत्री ने परीक्षा से छः माह पहले कहा था कि हम शिक्षा में बदलाव लाएंगे. परीक्षा में ऐपियर होने से पूर्व छात्रों को टेस्ट ऐक्जाम के बाद छात्रों के अभिभावक और शिक्षकों के बीच मिट होगा जिसमें उनके शिक्षक द्वारा जानकारी दी जाएगी कि किस विषय में आपका बच्चा कमजोर है और उसे इस विषय में कोचिंग की जरूरत है. इतना ही नहीं कमजोर बच्चों के लिए स्कूल में ही कोचिंग की व्यवस्था उपलब्ध कराने की बात कही गई थी.

रिजल्ट आने के बाद यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि शिक्षा मंत्री के उस दावे का क्या हुआ.परीक्षा में थोड़ी सी सख्ती हुई तो मात्र 45 प्रतिशत बच्चे ही क्यों पास कर पाए. इसके लिए जिम्मेदार कौन है. यहां की शिक्षा व्यवस्था, बच्चे या यहां के अभिभावकों की सोच.

रिजल्ट ने सब की पोल खोल दी.यहां तक की राजधानी पटना के सभी नामी गिरामी स्कूलों के बच्चे भी अच्छा रिजल्ट नहीं दे पाए. एकमात्र सिमतुल्ला विद्यालय के बच्चों ने टॉप टेन से लेकर 42 तक उस विद्यालय के छात्रों ने जगह बनाई . नंबर एक पर तृषा तंबी और बबिता को संयुक्त रूप से 483 अंक प्राप्त हुए. कोमल औऱ अभिनव 482 अंक लाकर दूसरे स्थान पर रहें मधुकर रहें. दिव्य ज्योति और प्रियंका कुमारी को 481 अंक प्राप्त हुए दोनों को तीसरा स्थान प्राप्त हुआ. चौथा स्थान पर पर 480 अंक अदिति सार्थक,478 अंक जेलसी सिंह. रूपम रत्न, शाऊकटीका शाश्वत, सोनाली प्रिया, अनुराग कुमार, नमन अग्रवाल को संयुक्त रूप से मिला. पांचवां स्थान प्रिति कुमारी, सादिया सदाफ, शुभम कुमारी, अभिषेक कुमार , रोहित कुमार, को छठा स्थान477 अंक पाकर सान्या रौशन एवं पवन कुमार को मिला. नंबर एक से 42 में बिहार के और कोई विद्यालय के बच्चे नहीं आ पाए.

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने जो रिजल्ट दिया उससे जाहिर हो गया कि सरकारी विद्यालयों में आज भी पढ़ाई नहीं होती है. साढ़े सात लाख से अधिक बच्चों का फेल होना यही दर्शाता है.

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