गोआ की फेनी की तर्ज पर नीरा को प्रोत्साहित करेगी नीतीश सरकार

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मुकुंद सिंह. पटना. बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद ताड़ी की बिक्री पर भी रोक लगा दिए जाने के बाद सरकार विकल्प के तौर पर नीरा की बिक्री को प्रोत्साहित करेगी.नीरा को गोवा की फेनी की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनाई जा रही है.

उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह ने बताया कि तारी के कारोबार से जुड़े लोगों की आजीविका बंद न हो इसलिए सरकार नीरा की प्रोसेसिंग, पैकेजिंग व मार्केटिंग की कार्य योजना को लेकर गंभीर  है.चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक नीरा के कई रुप बाजार में आज सकते हैं. जून में घोषित होने वाली उद्योग नीति में सरकार यह योजना ला सकती है.उन्होंने कहा कि बिहार सरकार फेनी की तर्ज पर नीरा को प्रोसेसिंग कर इसके विभिन्न नशा विहीन उत्पादों के निर्माण को प्रोत्साहन देगी. बिहार सरकार इसी तर्ज पर नीरा को संरक्षण देगी ,लेकिन ताड़ के रस से नशीले उत्पादों का निर्माण नहीं होने देगी.

गौरतलब है कि फेनी गोवा का देसी पेय है जो आमतौर पर काजू ,सेब, नारियल के द्वारा बनाया जाता है. फेनी को  वहां की सरकार संरक्षण दे रही है. ताड़ के पेड़ से नीरा 4 महीने तक प्राप्त किया जा सकता है. सरकार की योजना है कि प्रोसेसिंग कर इसे बाद में भी पेय पदार्थ के रूप में उपलब्ध कराया जाए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कह चुके हैं कि नीरा को लेकर एक योजना बनाई गई है. इसके लिए एक कमिटी बना दी गई है. इसके अलावा ताड़ का एक अन्य उत्पाद खेदा भी गुणकारी पदार्थ है. उन्होंने कहा कि नीरा के 4 महीने के दौरान  उपलब्धता के बाद  बाकी अन्य 8 महीनों के दौरान ताड़ के अन्य उत्पादों का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है. उद्योग मंत्री ने बताया कि ताड़ के रस के कारोबार से जुड़े लोग का स्वयं सहायता समूह या सहकारिता समिति बनाई जाएगी तथा इन्ही के माध्यम से नीरा का कलेक्शन और प्रोसेसिंग कराई जाएगी. नीरा के कारोबार को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार इसमें मदद करेगी. राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि सरकार लोगों की  बढ़ोतरी के लिए काम  कर रही है. ताड़ी  के विकल्प नीरा के लिए भी योजना बनाई जा रही है. सरकार का अनुमान है कि नीरा के कारोबार को बढ़ावा देकर एक ताड़ के पेड़ से एक साल में 6हजार  से अधिक की आमदनी प्राप्त की जा सकती है. जबकि ताड़ी  से इतनी आमदनी संभव नहीं थी.

 

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