संवाददाता.पटना. भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि लाखों शिक्षकों की होली वेतन नहीं मिलने से जहां फीकी रहेगी वहीं सरकार वेतन भुगतान को लेकर शिक्षकों को गुमराह कर रही है। सरकार होली के पहले शिक्षकों को वेतन भुगतान करने के अपने वादे से सर्व शिक्षा अभियान की राशि नहीं मिलने का बहाना बना कर मुकर रही है। हकीकत है कि सरकार के पास सर्वशिक्षा अभियान के राज्यांश मद के लिए प्रावधानित 1,270 करोड़ रुपये अभी शेष है, जिससे वह आसानी से शिक्षकों के बकाये वेतन का भुगतान कर सकती है।
विगत विधान सभा चुनाव के पूर्व शिक्षकों के लिए नए वेतनमान देने की घोषणा के दौरान क्या राज्य सरकार को यह नहीं पता था कि इससे प्रतिवर्ष 3 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा? क्या यह वेतनवृद्धि सर्व शिक्षा अभियान की राशि के भरोसे सरकार ने की थी? क्या सरकार को यह पता नहीं है कि 10 वर्षों के लिए शुरू किए गए सर्व शिक्षा अभियान को फिलहाल विस्तारित किया गया है, जो आने वाले दिनों में बंद भी हो सकता है? क्या राज्य सरकार वेतन वृद्धि के अतिरिक्त खर्च को केन्द्रीय करों के हिस्से के रूप में पिछले साल की तुलना में इस साल उसे जो 14 हजार करोड़ रुपये ज्यादा मिलेगा, उससे पूरा नहीं कर सकती है?
सर्वशिक्षा अभियान के तहत राज्य सरकार को केन्द्र से पिछले वर्ष 2014-15 में मिली 2,163 करोड़ की तुलना में 2015-16 में 2,515 करोड़ यानी 400 करोड़ रुपया ज्यादा मिला है। राज्य सरकार ने राज्यांश के तौर 2,954 करोड़ रुपये में से अब तक मात्र 1,677 करोड़ ही जारी किया है। राज्यांश के शेष 1,270 करोड़ रुपये से राज्य सरकार आसानी से शिक्षकों के बकाये वेतन का भुगतान कर सकती है। सरकार का यह आरोप भी निराधार है कि सर्व शिक्षा अभियान के स्वीकृत बजट की पूरी राशि उसे नहीं मिल पाई है। यूपीए सरकार के 10 वर्षों के कार्यकाल में स्वीकृत बजट का 40 से 50 प्रतिशत से ज्यादा क्या किसी राज्य को मिला था ? क्या वर्ष 2013-14 में सर्वशिक्षा अभियान के स्वीकृत बजट 6,235 करोड़ होने के बावजूद व्यय मात्र 4,760 करोड़ ही नहीं हुआ था?
राज्य सरकार बहानेबाजी छोड़ कर चार महीने से वेतन से वंचित लाखों शिक्षकों को होली से पहले वेतन भुगतान कर अपना वादा पूरा करें। होली जैसे त्योहार के मौके पर वेतन भुगतान नहीं कर सरकार शिक्षकों के साथ अन्याय कर रही है।