धान-खरीद मामले पर विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

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निशिकांत सिंह.

पटना.किसानों के धान की खरीद के मुद्दे पर अब विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. धान खरीद के मुद्दे पर  धरना-प्रदर्शन की शुरुआत हो गई है. राज्य के किसान परेशान है कि धान की फसल अच्छी तो हुई लेकिन अब उस धान को बाजार नहीं मिल रहा है. धान की खरीद नहीं होने से जो किसान कर्ज लेकर फसल ऊपजाए उनके समक्ष समस्यायें उत्पन्न हो गई है.एक तो वर्षा हुई नहीं, यहां तक की हथिया नक्षत्र में भी किसान आसमान ताकते रह गये.अपना फसल उपजाने में कर्ज में डूब गए औऱ अब फसल का उचित कीमत नहीं मिल पा रही है.

राज्य सरकार की धान की खरीद पर चुप्पी के कारण जहां विपक्षी दल बार बार पहले चेतावनी देते रहें है, अब सड़क पर उतर गये है. शुरूआत पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम ने कर दी है. आज हजारों किसानों के साथ जीतनराम मांझी ने धरना दिया. वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी अगामी 21 जनवरी को राजभवन मार्च निकालेगी. 18 को जनअधिकार पार्टी( लोकतांत्रिक) महाधरना देगी.

जीतनराम मांझी ने स्पषट कर दिया कि वो किसानों के मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगे. इस अवसर मांझी ने कहा कि  किसानों की समस्याओं का समाधान और अपराध पर नियंत्रण नहीं हुआ तो हम अपना आंदोलन और तेज करेंगे. हम चुनावी सभा नहीं कर रहे हैं. प्रदेश के लोगों से जुड़ी समस्याओं को लेकर आंदेलन कर रहे हैं. हमारी मांग है कि प्रदेश के किसानों के धान के बकाये राशि का अविलंब भुगतान किया जाय. हमने उनके लिये जो बोनस शुरू किया था उसे फिर से चालु किया जाय. और बोनस की राशि 300 से 500 रुपये किया जाय।. किसानों के धान का क्रय नहीं हो रहा है. वे अपने अनाज औने-पौने दामों पर बेचने पर मजबूर हैं. उनके धान को क्रय करने का सरल साधन उपलब्ध कराया जाय. किसान का अर्थ सिर्फ अन्न उपजाने वाले नहीं, बल्कि पशुपालक, मतस्य पालक, फूल उगाने वाले, सब्जी-फल उगाने वाले, जंगल की रक्षा करने वाले, और जड़ी बुटी उपजाने वाले जैसे कई ऐसे पेशे वाले जो प्रत्यक्ष रूप से प्रकृति से जुड़े है ये सब भी किसान हैं. प्रदेश में सभी की स्थिति चिंताजनक है.

मांझी ने कहा कि  बिहार में 76 फीसदी किसान हैं. किसान के यहाँ मजदूरी करने वाले भी किसान हैं. ये लोग खेती पर आश्रित हैं. खेती अच्छी हो तो ठीक, नहीं तो भूखे मरते हैं. बिहार में कृषि मुख्य पेशा है. उनके यहां बिजली जाती नहीं,और बिल आ जाता है. हमने किसानों के बिजली बिल को माफ़ करने का निर्णय लिया था, जिसे नीतीश कुमार ने रद्द कर दिया. हमने SC-ST किसानों के लिए कृषि यंत्र पर 100℅ सब्सिडी देने का निर्णय लिया था. पर सरकार ने इसे भी रद्द कर दिया. जूट की खेती के लिए बिहार प्रसिद्ध था. अब जूट की खेती इतिहास बनते जा रहा है. पिछले साल 30 टन मैट्रिक टन धान खरीदने का टारगेट था, पर 20 लाख मैट्रिक टन ही खरीदा गया. किसानों का धान खरीदा नहीं जा रहा है. पिछले साल के बकाये राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है. किसान बदहाल है. हमने किसानों को 300 रूपये/क्विंटल बोनस देने का निर्णय लिया था. पर उसे भी बंद कर दिया गया. मंहगाई बढ़ गयी है. बोनस की राशि को 3 सौ से 500 रूपये किया जाए. राज्य में कालाबाज़ारी हो रही है. बिचौलिए का बोलबाला है.  किसान के धान को सरलता पूर्वक क्रय किया जाय. और 7 दिन के भीतर उसका भुगतान किया जाय. हमारे राज्य के लोगों का पलायन हो रहा है. किसान लाचार हो कर बिहार के बाहर जा कर मजदूरी करने को विवश हैं. सरकार किसानों में लिए कुछ नहीं कर रही है.

दूसरी ओर जनअधिकार पार्टी लोकतांत्रिक राज्य में धान की खरीद नहीं होने के कारण पूरे राज्य में आंदोलन करेगी. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीभगवान सिंह कुशवाहा ने आज अपने जिला संयोयकों के मनोनयन के अवसर पर उक्त बातें की घोषणा की. श्रीभगवान ने कहा कहा कि राज्य की सरकार चुनाव में किय गये वायदों को विलुप्त कर दी है. मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि राज्य के किसानों को अतिरिक्त 300 रूपये का बोनस देंगे जो अब इसके बारे में जिक्र तक नहीं कर रहें है. किसानों की धान की खरीद नहीं होने से यहां के किसान आत्महत्या तक करने को मजबूर है.

राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा. अरूण कुमार पहले ही घोषणा कर चुके है कि वो अगामी 21 जनवरी को पूरे राज्य के किसानों को जुटाकर राजभवन मार्च करेंगे. तथा बिहार के राज्यपाल को ज्ञापन सौपेंगे अरूण कुमार ने कहा था कि पिछले साल के धान का बकाया लोखों किसानों का सरकार के पास है जिससे राज्य के किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है.

 

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