सोशल मीडिया की ताकत

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(प्रमोद दत्त )……………socialmedia ke takat

पटना वीमेंस कॉलेज की छात्राएं पहली बार कॉलेज प्रशासन के खिलाफ सड़क पर उतर आईं. अनुशासन के लिए प्रसिद्ध इस  प्रतिष्ठित कॉलेज का अनुशासन तार-तार हो गया.इस असाधारण घटना के पीछे मामला गंभीर है.एक शिक्षक द्वारा छात्राओं के साथ आपत्तिजनक व्यवहार करना और विभागाध्यक्ष से लेकर प्राचार्या तक शिकायत पहुंचाने पर  भी शिक्षक पर कार्रवाई करने के बजाए छात्राओं की ही जुबान बंद करने की कोशिश ने छात्राओं को सड़क पर उतरने को विवश कर दिया.

कॉलेज प्रशासन की इस कोशिश से छात्राओं में आक्रोश पनपा.एक सप्ताह तक तो इसे किसी तरह दबाया गया लेकिन यह आक्रोश सोशल मीडिया के माध्यम से बाहर आ ही गया.फेसबुक और वॉटसअप के माध्यम से जब छात्राओं की आपबीती वायरल हुई तो एक मैसेज ने छात्र-छात्राओं को आंदोलित कर दिया.मीडिया से लेकर छात्र संगठन,पुलिस प्रशासन,सरकार और आमलोगों तक मैसेज पहुंचा दी गई.

  छात्र आंदोलन की धरती बिहार में 1974 आंदोलन को असरदार बनाने के लिए जेपी के नेतृत्व का सहारा लिया गया था.इस आंदोलन ने देश की राजनीतिक तस्वीर बदल दी थी.समय बदला.अब जेपी की भूमिका में सोशल मीडिया आ गया है.बिना किसी सक्षम नेतृत्व के सोशल मीडिया के सहारे आंदोलन की जो जमीन तैयार कर दी गई है,इसे अब आसानी से दबाया नहीं जा सकता है.आंदोलनकारी छात्राओं व छात्र संगठनों को अब भी वीमेंस कॉलेज की छात्राओं के एक वर्ग का समर्थन नहीं मिल रहा है.शायद कॉलेज प्रशासन का दबाव हो.क्योंकि यहां कोई राजनीतिक या नीति-सिद्धांत का नहीं बल्कि नारी के इज्जत व सम्मान का मामला है.इसलिए कुछ छात्राओं का आंदोलन-प्रदर्शन से अलग रहना सवाल पैदा करता है जिसका जवाब पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के बाद ही सामने आएगा.बहरहाल,अपने शैक्षणिक करियर को दाव पर लगाते हुए आंदोलन-प्रदर्शन में शामिल छात्राओं का तेवर बता रहा है कि वे अपने सम्मान व स्वाभिमान के साथ कोई समझौता नहीं करनेवाली हैं

नारी सशक्तिकरण के मामले में बड़े-बड़े दावे करनेवाले राजनीतिबाजों के सामने भी वीमेंस कॉलेज की छात्राओं ने सवाल खड़ा कर दिया है.सवाल राज्य सरकार के साथ-साथ केन्द्र सरकार के सामने भी है.खासकर महिला होने के नाते केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी के सामनेकृकि अल्पसंख्यक संस्थान के नाम पर किसी संस्थान को कितनी छूट मिलनी चाहिए. वैसी स्वायत्तता का क्या मतलब,जिसपर विश्वविद्यालय का कोई नियंत्रण न हो.क्या “कार्यस्थल  पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम,निषेध और निवारण) अधिनियम,2013“ शिक्षण संस्थाओं पर लागू नहीं होता.अगर लागू नहीं होता तो शिक्षण संस्थाओं में छात्राओं के यौन उत्पीड़न पर विशेष कानून क्यों नहीं बनाया गया.

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सन् 1980 से पत्रकारिता. 1985 से विभिन्न अखबारों एवं पत्रिकाओं में विभिन्न पदों पर कार्यानुभव. बहुचर्चित चारा घोटाला सहित कई घोटाला पर एक्सक्लुसिव रिपोर्ट, चारा घोटाला उजागर करने का विशेष श्रेय. ‘राजनीति गॉसिप’ और ‘दरबारनामा’ कॉलम से विशेष पहचान. ईटीवी बिहार के चर्चित कार्यक्रम ‘सुनो पाटलिपुत्र कैसे बदले बिहार’, साधना न्यूज और हमार टीवी के टीआरपी ओरियेंटेड कार्यक्रम ‘पड़ताल - कितना बदला बिहार’ के रिसर्च हेड और विभिन्न चैनलों के लिए पॉलिटिकल पैनलिस्ट. संपर्क – 09431033460

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