आओ घूमें राजगीर

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SANSKRITI 3

अभिषेक

अगर आपकों पहाड़ों पर घूमना, धार्मिक जगहों का दर्शन करना, ऐतिहासिक चीजों से रूबरू होना पसंद है तो आपको एक बार राजगीर जरूर आना चाहिए.

इतिहास

राजगीर बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित एक शहर एवं अधिसूचीत क्षेत्र है. यह कभी मगध साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी, जिससे बाद में मौर्य साम्राज्य का उदय हुआ. पहले इसे राजगृह के नाम से जाना जाता था. वसुमतिपुर, वृहद्रथपुर, गिरिब्रज और कुशग्रपुर के नाम से भी प्रसिद्ध रहे राजगृह को आजकल राजगीर के नाम से जाना जाता है.

पौराणिक साहित्य के अनुसार राजगीर बह्मा की पवित्र यज्ञ भूमि, संस्कृति और वैभव का केन्द्र तथा जैन तीर्थंकर महावीर और भगवान बुद्ध की साधनाभूमि रहा है. इसका ज़िक्र ऋगवेद, अथर्ववेद, तैत्तिरीय पुराण, वायु पुराण, महाभारत, बाल्मीकि रामायण आदि में आता है। जैनग्रंथ विविध तीर्थकल्प के अनुसार राजगीर जरासंध, श्रेणिक, बिम्बसार, कनिक आदि प्रसिद्ध शासकों का निवास स्थान था. जरासंध ने यहीं श्रीकृष्ण को हराकर मथुरा से द्वारिका जाने को विवश किया था.

क्या क्या देखें राजगीर में

राजगीर प्राचीन बौद्ध पर्यटन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है. यहां का गृद्धकूट पर्वत काफी महत्वपूर्ण है. इसी पर्वत पर महात्मा बुद्ध ने कई उपदेश दिये थे. जापान के बुद्ध संघ ने इसकी चोटी पर एक विशाल “शान्ति स्तूप” का निर्माण करवाया है जो आजकल पर्यटकों के आकर्षण का मूख्य केन्द्र है. स्तूप के चारों कोणों पर बुद्ध की चार प्रतिमाएं स्थपित हैं। स्तूप तक पहुंचने के लिए पहले पैदल चढ़ाई करनी पड़ एक “रज्जू मार्ग” भी बनाया गया है जो यात्रा को और भी रोमांचक बना देता है.

इसके अलावा बांसो के वन ‘वेणुवन बिहार’ भी लोग देखने आते हैं. इस वन को बिम्बिसार ने भगवान बुद्ध के रहने के लिए बनवाया था. साथ ही वैभव पर्वत की सीढ़ियों पर गर्म जल की कई झरने यानि सप्तधाराएं हैं जहां सप्तकर्णी गुफाओं से जल आता है. इन झरनों के पानी में कई चिकित्सकीय गुण होने के प्रमाण मिले हैं. पुरुषों और महिलाओं के नहाने के लिए 22 कुन्ड बनाए गये हैं. इनमें “ब्रह्मकुन्ड” का पानी सबसे गर्म (४५ डिग्री से.) होता है.

इन सबके बाद बारी आती है यहां के स्वर्ण भंडार को देखने की. जानकारों का मानना है कि  यह स्थान प्राचीन काल में जरासंध का सोने का खजाना था. कहा जाता है कि अब भी इस पर्वत की गुफ़ा के अन्दर अतुल मात्रा में सोना छुपा है और पत्थर के दरवाजे पर उसे खोलने का रहस्य भी किसी गुप्त भाषा में खुदा हुआ है. वह किसी और भाषा में नहीं बल्कि शंख लिपि है और वह लिपि बिंदुसार के शासन काल में चला करती थी. राजगीर में स्थित जैन मंदिर ङी रमणीय स्थल है. यहां पहाड़ों के कंदराओं के बीच 26 जैन मंदिर स्थित हैं जिसे आप दूर से ही देख सकते हैं. क्योंकि यहां पहुंचने के मार्ग दुर्गम है जहां किसी कुशल गाइड द्वारा ही जाया जा सकता है.

प्रसिद्ध है यहां का मलमास मेला

इस नगर की पहचान मेंलो के नगर के रूप में भी की गई है. इनमें सबसे प्रसिद्ध मकर और मलमास मेला है. शास्त्रों में मलमास तेरहवें मास के रूप में वर्णित है। सनातन मत की ज्योतिषीय गणना के अनुसार तीन वर्ष में एक वर्ष 366 दिन का होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस अतिरिक्त एक महीने को मलमास या अतिरिक्त मास कहा जाता है।

ऐतरेय बह्मण के अनुसार यह मास अपवित्र माना गया है और अग्नि पुराण के अनुसार इस अवधि में मूर्ति पूजा–प्रतिष्ठा, यज्ञदान, व्रत, वेदपाठ, उपनयन, नामकरण आदि वर्जित है. लेकिन इस अवधि में राजगीर सर्वाधिक पवित्र माना जाता है. अग्नि पुराण एवं वायु पुराण आदि के अनुसार इस मलमास अवधि में सभी देवी देवता यहां आकर वास करते हैं. राजगीर के मुख्य ब्रह्मकुंड के बारे में पौराणिक मान्यता है कि इसे ब्रह्माजी ने प्रकट किया था और मलमास में इस कुंड में स्नान का विशेष फल है.

कब आएं राजगीर

 यूं तो आप कभी भी इस रमणीय स्थल का दर्शन करने आ सकते हैं, लेकिन अक्टूबर से मार्च तक यहां का मौसम सुहाना और पर्यटकों के लिए बेहतरीन होता है.

कैसे आएं राजगीर

वायुमार्ग: निकटतम हवाई-अड्डा पटना (107 किमी).

रेलमार्ग: पटना एवं दिल्ली से सीधी रेल सेवा।

सड़क द्वारा: पटना, गया, दिल्ली एवं कोलकाता से सीधा संपर्क।

बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम पटना स्थित अपने कार्यालय से नालंदा एवं राजगीर के लिए वातानुकूलित टूरिस्ट बस एवं टैक्सी सेवा भी उपलब्ध करवाता है.

 

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